मेरी अमेरिका डायरी 5
बाहर अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। सिटी बस की पिछली सीट पर यूनिवर्सिटी की पत्रिका ‘कालेज’ के बाल्टीमोर एडीशन के नए अंक को पलट रहा हूं। डेनियल ने बताया था कि यह पत्रिका पूरे अमेरिका के कालेजों में बेहद लोकप्रिय है और मुफ्त बंटती है। एक लेख में मोटे अक्षरों में लिखा कमेंट देखकर ठिठक जाता हूं-‘सेक्स इन हाईस्कूल इज ए नार्मल थिंग दीस डेस, एंड नॉट डिबेटेबिल।’ यानी हाईस्कूल में सेक्स एक सामान्य चीज है और यह कोई बहस का मुद्दा भी नहीं। यह कमेंट ‘बालिका वधु’ की तर्ज पर अमेरिका में चल रहे टीवी सीरियल ‘द सीक्रेट लाइफ ऑफ द अमेरिकन टीनएजर’ की 16 साल की नायिका शैलने वुडले का है।
यह टीवी शो हाईस्कूल के बच्चों पर केन्द्रित है जिसमें हाईस्कूल में पढ़ने वाली एक पन्द्रह साल की लड़की गर्भवती हो जाती है।इस सीरियल में तलाक, यौन उत्पीड़न की अभिशप्त स्मृतियां, प्रेम त्रिकोण और स्कूली जीवन की तमाम विसंगतियां हैं। आप फेसबुक सर्च पर देखिए ‘द सीक्रेट लाइफ’ को पसंद करने वालों की गिनती 20 लाख के ऊपर पहुंच गई है।
अब मुद्दे पर आते हैं। अमेरिकी अभिभावक चिन्तित हैं कि कक्षाओं में बच्चे इस सीरियल पर चर्चा करते हैं। फेसबुक पर अपने विचार शेयर करते हैं। अमेरिकी मित्र डेनियल की 16 साल की बेटी एशेले कहती है कि-‘मुझे अच्छा लगता है जब सीरियल में मेरी उम्र के लोग सेक्स के बारे में बात करते हैं, मॉम-डैड के झगड़े और ब्वाय फ्रेंड्स के बारे में चर्चा करते हैं। हमारी उम्र के बच्चों में यही सब बातें तो होती हैं।’ सीरियल में हाईस्कूल के बच्चों को शराब और ड्रग लेकर मस्ती करते दिखाया गया है। इस पर शैलने अपने इंटरव्यू में कहती है कि ‘अल्कोहल और ड्रग हमारे हाईस्कूलों के कल्चर का एक अहम हिस्सा है।’ जब उससे पूछा गया कि सीरियल की पूरी स्क्रिप्ट विवादित है तो वह कहती है ‘इसमें विवाद कैसा? सेक्स आज हाईस्कूल के लिए बेहद सामान्य चीज है। सबसे अच्छी बात है कि यह सीरियल पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा जा रहा है। और पसंद किया जा रहा है।’
कालेज पत्रिका के अंतिम पेज पर सेक्स पर सवाल-जवाब कॉलम है। जवाब देने वाली मैरीलेंड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एलीजाबेथ रोबटर्स हैं। जाहिर है कालेज पत्रिका में सवाल पूछने वाले केवल युवा छात्र हैं। उनके सवाल देखिए। ‘क्या तांत्रिक सेक्स से ठहराव कई घंटे तक हो सकता है? क्या तांत्रिक सेक्स को सीखना कठिन है?’ सेक्स गुरू प्रोफेसर एलीजाबेथ कहती हैं-‘नथिंग लाइक क्वान्टटी ओवर क्वाल्टी।’ यानी गुणवत्ता का लम्बे ठहराव से कोई मुकाबला नहीं। अगला सवाल जननेन्द्रियों के आकार पर आकर ठहरता है। सेक्स गुरू जननेन्द्रियों आकार कीवैश्विक और भौगोलिक सीमाएं समझाती हैं।
वे दिलचस्प तथ्य बताती हैं कि अफ्रीका में 5.3,यूरोप में 5.2 और एशिया में 4.9 सेंटीमीटर साइज के कंडोम बनते हैं। लेकिन अंत में प्रोफेसर अपना अनुभव बताती हैं कि-‘डज साइज मैटर एनीवे।’ इस तरह के कई और सवाल हैं। ‘कालेज’ पत्रिका मुझे जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के फ्रंट डेस्क से मिली थी। आखिर अमेरिका के कालेज अपने बच्चों को क्या परोस रहा है।? ठीक है कि अमेरिका का समाज खुला हुआ है। देह प्रदर्शन यहाँ की संस्कृति का हिस्सा है। शार्टस और सीने तक लापरवाही से खुला टॉप यहां लड़कियों को सबसे पंसददीदा पहनावा है। खुले वस्त्रों में अमेरिकी युवा ज्यादा सहज महसूस कर रहे हैं। यहाँ अब छुपाने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन इसका असर अमेरिकी समाज और खासतौर से नई पीढ़ी पर दिख रहा है।
कैसर फैमली फाउंडेशन की सर्वे की ताजा रिपोर्ट से पूरा अमेरिका चिन्तित है। रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के आधे अमेरिकी बच्चे सेक्स का अनुभव ले चुके हैं। 20 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले 34 फीसदी लड़कियां एक बार जरूर गर्भवती हो चुकी हैं। सबसे खतरनाक तथ्य यह कि हर साल करीब चार लाख लड़कियां किसी न किसी तरह के यौन संक्रमण का शिकार होती हैं। डेनियल की तरह यूएस के लाखों अभिभावक चिन्तित हैं।
निगाहें बस पर चस्पा विज्ञापन पर ठहर जाती हैं। लिखा है-‘क्या आपकी बेटी अवसाद की शिकार है?’ पोस्टर पर चाइल्डहुड डिप्रेशन का ब्योरा है। नीचे एक मनोवैज्ञानिक का पता और फोन नम्बर दिया है। पत्रिका में छपी तस्वीर में मासूम शैलने की आंखों में अपनी बालिका वधु आनंदी-सा भोलापन है। मैं आंखें बंद कर लेता हूं।
बाहर अचानक तेज बारिश शुरू हो गई। सिटी बस की पिछली सीट पर यूनिवर्सिटी की पत्रिका ‘कालेज’ के बाल्टीमोर एडीशन के नए अंक को पलट रहा हूं। डेनियल ने बताया था कि यह पत्रिका पूरे अमेरिका के कालेजों में बेहद लोकप्रिय है और मुफ्त बंटती है। एक लेख में मोटे अक्षरों में लिखा कमेंट देखकर ठिठक जाता हूं-‘सेक्स इन हाईस्कूल इज ए नार्मल थिंग दीस डेस, एंड नॉट डिबेटेबिल।’ यानी हाईस्कूल में सेक्स एक सामान्य चीज है और यह कोई बहस का मुद्दा भी नहीं। यह कमेंट ‘बालिका वधु’ की तर्ज पर अमेरिका में चल रहे टीवी सीरियल ‘द सीक्रेट लाइफ ऑफ द अमेरिकन टीनएजर’ की 16 साल की नायिका शैलने वुडले का है।
यह टीवी शो हाईस्कूल के बच्चों पर केन्द्रित है जिसमें हाईस्कूल में पढ़ने वाली एक पन्द्रह साल की लड़की गर्भवती हो जाती है।इस सीरियल में तलाक, यौन उत्पीड़न की अभिशप्त स्मृतियां, प्रेम त्रिकोण और स्कूली जीवन की तमाम विसंगतियां हैं। आप फेसबुक सर्च पर देखिए ‘द सीक्रेट लाइफ’ को पसंद करने वालों की गिनती 20 लाख के ऊपर पहुंच गई है।
अब मुद्दे पर आते हैं। अमेरिकी अभिभावक चिन्तित हैं कि कक्षाओं में बच्चे इस सीरियल पर चर्चा करते हैं। फेसबुक पर अपने विचार शेयर करते हैं। अमेरिकी मित्र डेनियल की 16 साल की बेटी एशेले कहती है कि-‘मुझे अच्छा लगता है जब सीरियल में मेरी उम्र के लोग सेक्स के बारे में बात करते हैं, मॉम-डैड के झगड़े और ब्वाय फ्रेंड्स के बारे में चर्चा करते हैं। हमारी उम्र के बच्चों में यही सब बातें तो होती हैं।’ सीरियल में हाईस्कूल के बच्चों को शराब और ड्रग लेकर मस्ती करते दिखाया गया है। इस पर शैलने अपने इंटरव्यू में कहती है कि ‘अल्कोहल और ड्रग हमारे हाईस्कूलों के कल्चर का एक अहम हिस्सा है।’ जब उससे पूछा गया कि सीरियल की पूरी स्क्रिप्ट विवादित है तो वह कहती है ‘इसमें विवाद कैसा? सेक्स आज हाईस्कूल के लिए बेहद सामान्य चीज है। सबसे अच्छी बात है कि यह सीरियल पूरे परिवार के साथ बैठकर देखा जा रहा है। और पसंद किया जा रहा है।’
कालेज पत्रिका के अंतिम पेज पर सेक्स पर सवाल-जवाब कॉलम है। जवाब देने वाली मैरीलेंड यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर एलीजाबेथ रोबटर्स हैं। जाहिर है कालेज पत्रिका में सवाल पूछने वाले केवल युवा छात्र हैं। उनके सवाल देखिए। ‘क्या तांत्रिक सेक्स से ठहराव कई घंटे तक हो सकता है? क्या तांत्रिक सेक्स को सीखना कठिन है?’ सेक्स गुरू प्रोफेसर एलीजाबेथ कहती हैं-‘नथिंग लाइक क्वान्टटी ओवर क्वाल्टी।’ यानी गुणवत्ता का लम्बे ठहराव से कोई मुकाबला नहीं। अगला सवाल जननेन्द्रियों के आकार पर आकर ठहरता है। सेक्स गुरू जननेन्द्रियों आकार कीवैश्विक और भौगोलिक सीमाएं समझाती हैं।
वे दिलचस्प तथ्य बताती हैं कि अफ्रीका में 5.3,यूरोप में 5.2 और एशिया में 4.9 सेंटीमीटर साइज के कंडोम बनते हैं। लेकिन अंत में प्रोफेसर अपना अनुभव बताती हैं कि-‘डज साइज मैटर एनीवे।’ इस तरह के कई और सवाल हैं। ‘कालेज’ पत्रिका मुझे जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के फ्रंट डेस्क से मिली थी। आखिर अमेरिका के कालेज अपने बच्चों को क्या परोस रहा है।? ठीक है कि अमेरिका का समाज खुला हुआ है। देह प्रदर्शन यहाँ की संस्कृति का हिस्सा है। शार्टस और सीने तक लापरवाही से खुला टॉप यहां लड़कियों को सबसे पंसददीदा पहनावा है। खुले वस्त्रों में अमेरिकी युवा ज्यादा सहज महसूस कर रहे हैं। यहाँ अब छुपाने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन इसका असर अमेरिकी समाज और खासतौर से नई पीढ़ी पर दिख रहा है।
कैसर फैमली फाउंडेशन की सर्वे की ताजा रिपोर्ट से पूरा अमेरिका चिन्तित है। रिपोर्ट के मुताबिक स्कूलों में कक्षा 9 से 12 तक के आधे अमेरिकी बच्चे सेक्स का अनुभव ले चुके हैं। 20 साल की उम्र तक पहुंचने से पहले 34 फीसदी लड़कियां एक बार जरूर गर्भवती हो चुकी हैं। सबसे खतरनाक तथ्य यह कि हर साल करीब चार लाख लड़कियां किसी न किसी तरह के यौन संक्रमण का शिकार होती हैं। डेनियल की तरह यूएस के लाखों अभिभावक चिन्तित हैं।
निगाहें बस पर चस्पा विज्ञापन पर ठहर जाती हैं। लिखा है-‘क्या आपकी बेटी अवसाद की शिकार है?’ पोस्टर पर चाइल्डहुड डिप्रेशन का ब्योरा है। नीचे एक मनोवैज्ञानिक का पता और फोन नम्बर दिया है। पत्रिका में छपी तस्वीर में मासूम शैलने की आंखों में अपनी बालिका वधु आनंदी-सा भोलापन है। मैं आंखें बंद कर लेता हूं।
2 comments:
america diary padh ke kafi maza aa rha h.......thodi der k liye mai apne sapnon ke shahar me pahuch ja rha h.......khair is anubhav ko padhkar maine v ek lambi sans li h
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