एक वक्त आता है जब आप सिर्फ शब्दों के बाजीगर बन जाते हैं. आप
एक मायने में कायर और ढोंगी हो जाते हैं. आप नि:शब्द रहना चाहते हैं पर
उसके लिए भी शब्द तलाशते हैं. चेतन और अवचेतन मन के किसी कोने में चल रहे
इसी अंतर कलह को लेकर हाज़िर है मेरा नया ब्लॉग-शब्द नि:शब्द
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