दयाशंकर शुक्ल सागर

Thursday, September 18, 2014

आदम की कहानी



  उफ.... इतना काम कि सिर में दर्द शुरू हो गया। अब देर रात फुर्सत मिली है। सोचता हूं हम इंसानों को कितनी मेहनत करनी पड़ती है जिन्दगी जीने के लिए। आदम और हव्वा की दिलचस्प और प्यारी कहानी कभी कुरान में पढ़ी थी। आज याद आ गई। ये दुनिया, फरिश्तों और हूरों को बनाने के बाद खुदा ने मिट्टी को गूंथ कर अपनी शक्ल का एक पुतला तैयार किया। वह आदम था। फिर आदम की ही बायीं पसली से औरत को बनाया जिसे हव्वा नाम दिया गया। दोनों मजे से जन्नत में रहते थे। न कोई फिक्र न चिन्ता। लेकिन एक दिन शैतान के बहकावे में आकर इन दोनों ने खुदा की आज्ञा का उल्लंघन कर गेहूं खा लिया। (बाइबल में सेब खाने का जिक्र है)। इस गुनाह के लिए खुदा ने उन्हें जमीन पर ला पटका। और शाप दिया कि तुम्हारी औलादें मेहनत करके खाएंगी। अब उसका असर देख रहा हूं। सोचता हूं आदम मियां शैतान के बहकावे में क्यों आ गए होंगे? आप बता सकते हैं?

कल एक मित्र ने पूछा सबको खुदा ने बनाया तो शैतान को किसने बनाया? खुदा ने तो आदम के पहले सिर्फ फरिश्ते ही बनाए थे। एक फरिश्ता इब्लीस नाम का था। कुरआन की कहानी कहती है आदम को बनाने के बाद खुदा ने अपने सभी फरिश्तों से कहा कि मैंने एक नई चीज ईजाद की है। ये आदम है, सभी फरिश्तों इसका सजदा करो। सभी फरिश्तों ने ऐसा किया लेकिन इब्लीस ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। उसने खुदा से कहा-मैं रोशनी से बना हूं। मैं खुदा के अलावा किसी के आगे सजदा नहीं करुंगा। खुदा ने नाराज होकर इब्लीस को जन्नत से निकाल दिया और जहन्नुम यानी नर्क में भेज दिया। उसी दिन से इब्लीस शैतान बन गया। उसने खुदा से कहा जिस आदम पर तुम्हें इतना नाज है मैं उसकी औलादों को खुदा का आदेश मानने से रोकूंगा। और तब उसने आदम की बीवी हव्वा का अपना पहला निशाना बनाया। और शैतान आज भी छुपकर आदम की औलादों यानी इंसानों को बहका कर ईश्वरीय आदेशों के खिलाफ ले जाने के जतन कर रहा है।
जब तक इंसान है तब तक शैतान भी रहेगा। और हम सबको बहकाएगा। तो बेहतर है कि हम सतर्क रहें। खुदा खैर करे?
दोस्तों ने दिलचस्प सवाल पूछा है कि खुदा ने इब्लीस से ‌मिट्टी के बने आदम का सजदा करने को क्यों कहा? जबकि कुरआन में खुदा के अलावा किसी को सजदा करने की मनाही है।
खुदा ने आदम को शाप जरूर दिया लेकिन उन्हें दुनिया का पहला पैगम्बर बना कर इस धरती पर भेजा। इस्लाम में उन्हें हजरत आदम के नाम से जाना जाता है। बल्कि मैंने देखा कुरआन की शुरूआत ही इसी कहानी से होती है। खुदा ने फारिश्तों से कहा-मैं जमीन पर एक खलीफा बनाने वाला हूं। फरिश्तों ने इस पर एतराज किया। कहा-तुम धरती पर ऐसे लोगों को भेजोगे जो फसाद करें खून बहाएं। खुदा ने फरिश्तों से कहा- मैं वह जानता हूं जो तुम नहीं जानते।  (मैं खुद अब तक नहीं समझ पाया कि खुदा ने ऐसा क्यों कहा था? वह क्या जानते थे? फरिश्तों की आशंका सही थी। यही सब हो रहा है। अगर किसी मित्र के पास इसक प्रसंग की व्याख्या या टीका हो तो कृपया शेयर करें।)
कुरआन में एक और दिलचस्प कथा है। आदम की शुरूआती संतानों से खुदा खुद पहली बार मुखातिब हुए थे। उन्होंने इंसानों से  पूछा-क्या मैं तुम्हारा पालनहार नहीं हूं? यह खुदा का इंसानों को पहला सम्बोधन था। खुदा के बंदों ने जवाब दिया-हां हो, बेशक हमारे पालनहार हो। खुदा ने यह भी साफ किया उन्होंने ऐसा इसलिए पूछा कहीं तुम कयामत के दिन यह न कहने लगो कि हमें तो इस बात की खबर ही नहीं थी।
तो ईश्वर सबका पालनहार है। उसका कोई भी आदेश न मानना एक गुनाह है। इब्लीस के खुदा के आदेश की नाफरमानी की। आसान शब्दों में समझे तो ये पिता का आदेश न मानने जैसा है। इब्लीस को इसकी सजा मिली और सजा आदम-हव्वा को भी मिली जिसने खुदा के आदेश की नाफरमानी कर प्रतिबंधित गेहूं खा लिया था। आदम और हव्वा से नाराज खुदा ने एक शाप और दिया था। कहा था-तुम दोनों धरती पर साथ रहोगे पर एक दूसरे के दुश्मन होगे। आदम ने तौबा की और रहमदिल खुदा ने उसे माफ कर दिया। पर कहा कयामत की मियाद तक तो तुम्हें वहां रहना होगा। 
दरअसल सभी धर्मग्रंथों में इस तरह की कथाएं प्रतीकात्मक होती है। इनमें छोटे किन्तु गहरे संदेश छुपे होते हैं। इन संदेशों को पकड़ना और उन्हें जीवन में उतारना हम इंसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। धर्मग्रंथों को तर्क की कसौटी पर नहीं कसा जा सकता। धर्मग्रंथ और इंसान के बीच आने वाले पंडितों, मौलवियों और पादरियों को एक बार हटा कर देखें। कोई धर्मग्रंथ आपको कभी गुमराह नहीं कर सकता। दुनिया के सारे धर्मग्रंथ हमारे सीधे और सरल पूर्वाजों की कल्पना है। चाहे वह अरब के लोग हों जिन्होंने खुदा के शब्दों की किताब बना कर उस पर अपना ईमान ले आए या हिन्दुस्तान में वैदिक युग के लोग जो इन्द्र से पानी बरसाने के लिए उपासना करते थे। और अपनी गायों के थनों में ईश्वर से दूध मांगते थे।
मैं नासमझ धर्म को ऐसे ही समझने की कोशिश करता हूं।