दयाशंकर शुक्ल सागर

Wednesday, November 12, 2014

आचार्य कृपलानी, महात्मा और मोदी


कल सुबह मोबाइल पर मुझे मोदी का एक ट्विट मिला जिसमें उन्होंने आचार्य कृपलानी के जन्मदिन पर बधाई दी गई थी। मुझे लगा मोदी अपने एजेंडे पर बखूबी काम रह रहे हैं। उन पुराने भूले बिसरे दिग्गज नेताओं को अपने खेमे में बड़े शातिर ढंग से जोड़ रहे हैं जिन्हें खुद कांग्रेस बेदखल कर चुकी है। महात्मा पर काम करते वक्त मेरा आचार्य कृपलानी से पहला परिचय हुआ था। इस आदमी ने मुझे बेतरह हैरान किया। मुझे मालूम चला कि गांधीजी ने तो कई बच्चे पैदा करने के बाद ब्रह्मचर्य लिया और फिर भी जीवन के अंतिम क्षणों तक ब्रह्मचर्य से जूझते रहे। लेकिन आचार्य ने अपने शादी शुदा जीवन के पहले दिन से न सिर्फ ब्रह्मचर्य धारण किया बल्कि उसे मरते दम तक निभाया। कृपलानी और उनकी पत्नी सुचेता के वैवाहिक संबंधों पर तमाम तरह के तंज कसे गए। लेकिन निष्काम प्रेम नाम की कोई चीज हो सकती है यह कृपलानी और सुचेता ने साबित किया। उस जमाने में कांग्रेस में उनका बहुत सम्मान था। यहां तक गांधी भी उनसे घबराते थे। मैंने अपनी किताब महात्मा गांधी ब्रह्मचर्य के प्रयोग में गांधी और आचार्य कृपलानी के संबंधों पर काफी लिखा।
अपने ब्रह्मचर्य के प्रयोग में महात्मा जब चारों तरफ से ‌घिर गए तो उन्होंने एक पत्र आचार्य को लिखा था। तब आचार्य कांग्रेस के अध्यक्ष हुआ करते थे। यह महात्मा का नितान्त व्यक्तिगत पत्र था जो शोध के दौरान मेरे हाथ लगा। इसमें महात्मा ने स्वीकार करते हुए लिखा-मेरी पोती मनु गांधी, जिसे हम सगा संबंध मानते हैं, मेरे साथ सोती है बिलकुल मेरी सगी की तरह। लेकिन ऐसा दैहिक सुख देने के लिए नहीं बल्कि जो चीज शायद मेरा अंतिम यज्ञ हो सकती है, उसके अंग के रूप में। फिर महात्मा ने इस बारे में विस्तार से लिखा कि कैसे उनके तमाम करीबी मित्र उनके इस प्रयोग को शंका की निगाह से देख रहे हैं।
इसके जवाब में आचार्य ने महात्मा को जो खत लिखा वह वकाई एक दस्तावेज है। जवाब लम्बा है लेकिन उनकी अंतिम पंक्ति में उन्होंने लिखा-...मेरा विश्वास है कि जब तक आपमें मुझे पागलपन और विकृति के लक्षण नहीं दिखाई देते तब तक आपके विषय में मेरा भ्रम कभी दूर नहीं होगा। लेकिन ऐसे लक्षण मुझे आप में दिखाई नहीं देते।
आप सोचिए गांधी को ऐसे दो टूक लिखने वाला व्यक्ति किस मिट्टी का बना होगा। इसलिए ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन दिन याद रखकर ट्विट पर पूरे देश को बधाई संदेश भेजने वाला इंसान कितनी दूर की सूझ और समझ रखता होगा। ऐसे ही कोई चाय बेचने वाला शख्स दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री नहीं बन जाता? क्या ख्याल है?


No comments: