दयाशंकर शुक्ल सागर

Wednesday, January 21, 2015

धार्मिक कट्टरता एक जहालत है



युवा मित्र यशार्थ मंजुल द्वारा भेजी गई बेहतरीन बांग्लादेशी फिल्म टेलीविजन देखी। शुक्रिया।  ये फिल्म बांग्लादेश के सुदूर गांव की कहानी है जो चारों तरफ से पानी के बीच घिरा है। गांव के इस्लामिक लीडर चेयरमैन अमीन को तस्वीरों खासतौर से टेलीविजन से नफरत है। गांव में उन्होंने टीवी देखने पर पाबंदी लगा रखी है। वह इसे हराम मानते हैं। टीवी पर इंटरव्यू भी देते हैं तो पर्दे में ताकि उनकी तस्वीर न आ जाए। अखबार भी पढ़ते हैं लेकिन अखबार में छपी सारी तस्वीरों को सफेद कागज से ढक देते हैं। वह नहीं चाहते कि आधुनिकता की हवा उनके गांव में दाखिल हो। इसके लिए उन्हें विरोध भी झेलना पड़ता है। पर वह अपनी इस्लामिक मान्यताओं पर अडिग हैं। उनके जीवन में सबसे तनावपूर्ण दौर तब आता है जब उनमें हज जाने इरादा जन्म लेता है। हज के लिए पासपोर्ट चाहिए और पासपोर्ट के लिए फोटो। मौलाना आंख बंद करके जीवन में पहली दफा अपनी तस्वीर खिंचवाते हैं। हज के लिए ढाका एयरपोर्ट पहुंचते हैं तो पता चलता है कि एजेंट ने सबको बेवकूफ बनाया है। हज जाने का उनका सपना टूट जाता है। वह मायूस होकर होटल के कमरे में आते हैं। उनका दिल टूटा हुआ है। वह किस मुंह से गांव लौटे अब। तभी सामने के कमरे से उन्हें टीवी चलने की आवाज सुनाई देती है। टीवी पर काबे की लाइव कवरेज है। वहां लाखों मुसलमान हज का अरकान अदा कर रहे हैं।  टेलीविजन पर यह चित्र देखकर चैयरमैन जार जार रोने लगते हैं। आसूंओं के साथ उनके होटों से आवाज निकलती है... ओह अल्लाह.... मैं भी मौजूद हूं। ....मैं भी मौजूद हूं। अंग्रेजी में सब टाइटल हैंः Oh GOD Iam Present. Oh GOD Iam Present.
यह फिल्म एक संदेश देती है। धार्मिक कट्टरता एक जहालत है। वक्त के साथ आपको बदलना ही पड़ेगा। हिन्दू धर्म  ऐसी जहालत से सराबोर है।  पीके हो या ओ माई गॉड। इन फिल्मों ने हिन्दू रूढियों और अंधविश्वास पर हमला बोला है। आसराम जैसे धर्म के ठेकेदार और भगवानों के कथित मैनेजर कैसे हिन्दू धर्म का मजाक उड़ा रहे हैं। समोसे की चटनी के बदले कृपा बांटने वाले निर्मल बाबा तो खुद अपने आप में मजाक हैं। उनका मजाक उड़ाने से अगर आपकी भावनाएं आहत होती हैं तो बेशक हों।  निशाने पर ऐसे पाखंडी होने चाहिए न कि हिरानी या आमिर खान। धर्म कोई भी हो वह आलोचनाओं और नए विचारों के लिए खुला होना चाहिए वर्ना कोई भी धर्म घुट कर मर जाएगा। इसलिए हिन्दू और मुस्लिम दोस्तों से विनम्र गुजारिश है कि वह धार्मिक कट्टरता और अंधविश्वास के खिलाफ खड़े हों।





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