दयाशंकर शुक्ल सागर

Tuesday, October 15, 2013

राजेन्द्र यादव के नाम एक खत


 

प्रिय राजेन्द्र जी,
मुझे आप पर पूरा यकीन है। मनु, सुशीला, आभा जैसी लड़कियों से गांधी के अनर्गल संबंधों को लेकर भी कम्बखत लोग इसी तरह से दुष्प्रचार करते रहे हैं। आपसे मेरी जितनी मुलाकातें हुईं हैं उन सब में मुझे आप कभी बनावटी, झूठे और मक्कार नहीं लगे। आपने खुद को गुनाहों का देवता माना। कई साल पहले आप कथाक्रममें हिस्सा लेने लखनऊ आए थे। और मैंने एक अखबार के लिए आपका इंटरव्यू लिया था। जिसमें मैंने आपसे पूछा था कि आपके दोस्त बताते हैं कि आप अपनी फ्रिज में वियाग्रा रखते हैं?’ और तब आपने हंसते हुए कहा था कि-तुम भी यार वियाग्रा भी कोई फ्रिज में रखने की चीज है।तब मुझे अपनी नासमझी पर अफसोस भी हुआ था। फिर आपकी महिला मित्रों को लेकर कुछ सवाल हुए थे। इंटरव्यू हू बहू छपा। आपका तो फोन नहीं आया लेकिन दिल्ली से आपकी उस महिला मित्र और नामचीन बोल्ड लेखिका ने फोन पर मुझसे बड़ी मासूमियत से पूछा था-क्या मैं आपको ऐसी औरत लगती हूं।और सच कहूं तो उस दिन से मंटो की तरह मेरी भी बोल्ड लेखिकाओं के बारे में धारणा बदल गई। लेसबियन औरतों पर लिखी विवादित कहानी लिहाफके बारे में इस्मत चुगताई से मंटो ने एक दफा पूछा था कि-आखिर तूने लिहाफ में झांक कर ऐसा क्या देखा जो तेरी चीख निकल गई?’ इस्मत बेतरह शरमा गई। मंटो ने कहा-कम्बखत आखिर ये भी औरत निकली। 

खैर, पुरानी बातें जाने दीजिए। आप पहले ही बता चुके हैं कि आदमी की निगाह में औरत एक शरीर है, सेक्स है और वहीं से उसकी स्वतंत्रता की चेतना और स्वतंत्र व्यवहार पैदा होते हैं। अब इस सत्य का आपको बखूबी अंदाजा भी हो गया होगा। अनिल यादव भी मेरा दोस्त है और जितना मैं उसे जानता हूं वह लिखने पढ़ने में काफी हद तक ईमानदार है। सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए वह अनर्गल बातें कभी नहीं लिखेगा।
ज्योति कुमारी ने एक बुजुर्ग को मुसीबतों के कटघरे में खड़ा कर रखा है। दोनों तरफ विश्वसनीयता का गजब संकट है। दोनों कसमे खा-खा कर एक दूसरे को बाप-बेटी मान रहे हैं लेकिन कम्बखत दुनिया यह यकीन नहीं कर पा रही। लानत है ऐसी दुनिया पर। मैं ज्योति मोहतरमा को तो नहीं जानता लेकिन आपको बखूबी जानता हूं। और जितना जानता हूं उसकी बिना पर कह सकता हूं कि औरतों की आजादी को लेकर आपमें एक खास तरह का पागलपन की हद तक उत्साह है। ज्योति जैसी लड़कियों को ज्वालाबनाने की जो तरक्कीपसंद मुहिम आपने बा-जरिए हंसछेड़ी थी, अब मान लीजिए उसमे आप खासे कामयाब हो गए हैं। गांधी के प्रयोग तो नाकाम रहे लेकिन आपके क्रान्तिकारी प्रयोग आपके जीते जी सफल हो रहे हैं। बधाई।

खुदा आपको लम्बी उम्र दे और परहेज करने की ताकत अता फरमाए।

 

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