दयाशंकर शुक्ल सागर

Thursday, August 29, 2013

मौज मस्ती का एक पुराना बन्दरगाह

 मेरी अमेरिका डायरी 4
 
 बड़े जहाज जिन्हें अब शानदार रेस्त्रां और बॉर का रूप दे दिया गया है : सी-फूड के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग है : मंदी ने एक सिरे से इन लोगों को बेकार कर दिया है : इलाके में लूट और चकारी की वारदातें बढ़ी हैं : शाम के ढलने के साथ नीले पानी का रंग ज्यादा गहरा गया है। समन्दर का कृत्रिम किनारा। एकदम साफ सुथरा। किनारे पर खड़े पानी के असली जहाज। जिन्हें कृत्रिम लंगरों से बाँध कर रखा गया है। हवा में घुलती सी-फूड की महक। और सूखी मछलियों के साथ बीयर की तेज गंध। आसपास चारों ओर बनी विशालकाय इमारतों की रोशनियां इस पानी पर एक अजब-सा इन्द्रजाल पैदा कर रही हैं। बोस्टन, न्यूयार्क, बाल्टीमोर और वाशिंगटन डीसी यह सारे शहर अटलांटिक महासागर से जुड़े है। बाल्टीमोर में तो जैसे यह महासागर शहर के भीतर तक पहुंच गया है। इसे इनर हर्बर कहते हैं।
बाल्टीमोर कभी अमेरिका का मुख्य बंदरगाह हुआ करता था। अब आज वह शापिंग, मौज मस्ती और पर्यटन का केन्द्र है। शाम ढल चुकी है। कुछ देर पहले पानी बरसा था। पर अब बूंदाबांदी भी नहीं है। इनर हर्बर जाने की बात हुई तो किसी ने कहा रात में जाना ठीक नहीं। बाल्टीमोर में 70 फीसदी अश्वेत अमेरिकी हैं। अफ्रीकी मूल के। मंदी ने एक सिरे से इन लोगों को बेकार कर दिया है। इस इलाके में लूट और चकारी की वारदातें बढ़ी हैं। पर मेरे पास क्या है? एक क्रेडिट कार्ड और चंद फुटकर डॉलर जेब में रख लेता हूं।इनर हर्बर जाने के लिए सिटी बस मुझे चार्ल्‍स स्ट्रीट छोड़ देती है। इनर हर्बर का किनारा सामने दिख रहा है। ठहरा हुआ शांत नीला पानी। बहुत दूर तक। पानी में खड़े पुराने बड़े जहाज जिन्हें अब शानदार रेस्त्रां और बॉर का रूप दे दिया गया है।
सी-फूड के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग है। दुनिया भर की बेहतरीन वाइन यहां मुहैया है। दिन भर के काम धंधे से फारिग होकर लोग यहां अपने परिवार के साथ घूमने आते हैं। ठीक सामने मजमा लगा है। लोग हंस रहे हैं। करीब जाता हूं। वहां इवान यंग का तमाशा चल रहा है। इवान की उम्र बमुश्किल 30 साल होगी। लाल जूते, लाल टाई और लाल कैप। वह खेल दिखाता है। छोटे मोटे जादू और तमाशे। कभी फुटबाल पर रखे पटरे पर खड़े होकर चाकू और जलती मशाल से खेलना तो कभी साइकिल पर करतब दिखाना। यह सब करते वक्त अपनी मजेदार बातों से सबको हंसाना। बच्चे तो इवान के दिवाने हैं। इवान का तमाशा खत्म होता है। तमाशा देख रहे अभिभावक अपने छोटे बच्चों के हाथों डॉलर इवान की बॉस्कट में डलवाते हैं। इवान की बॉस्कट डॉलरों से भर जाती है। इवान बताता है कि वह हाईस्कूल पास करने के बाद इस धंधे में आ गया था। अमेरिका के कई शहरों में उसके शो चलते हैं। फिर वह बॉस्कट से डॉलर निकाल कर अपने बैग में ठूंसने लगता है।
शाम पूरी तरह ढल चुकी है। रात 11 बजे के बाद वापसी की कोई बस नहीं। अमेरिकी पुलिसवाले से पूछता हूं-‘हापकिंस के लिए बस कहां मिलेगी।’ वह बताता है कि चार्ल्‍स स्ट्रीट तक पैदल जाना होगा। जो करीब एक मील दूर है। सड़कों पर सन्नाटा गहरा गया है। शायद आधा बाल्टीमोर शहर सो चुका है। चार्ल्‍स स्ट्रीट की तरफ आगे बढ़ता हूं। सड़क के किनारे बेंच पर काले अमरीकी बैठे हैं। वे सब अजीब-सी निगाहों से घूर रहे हैं। मैं हिम्मत करके एक से पूछता हूं-‘कैम्पस के लिए बस यहीं से मिलेगी?’ वह ‘हां’ में सिर हिलाता है। फिर अपनी सिगरेट जला लेता है। उसकी आंखे किसी अंगारे की तरह लाल हैं। मुझे लगा उसकी जेब में चाकू है। मैं दूसरी तरफ देखने लगता हूं। सामने से 3 नम्बर की बस आती दिखती है। राहत की सांस लेकर मैं उसमें लपक कर बैठ जाता हूं। बस चल पड़ती है। मैं खिड़की से पीछे देखता हूं। वो काला आदमी मुझे हाथ हिला कर बॉय कर रहा है।

 

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