दयाशंकर शुक्ल सागर

Saturday, January 18, 2014

विरोध में टंगी एक अपाहिज कुर्सी

मेरी यूरोप डायरी -2


जिनेवा। रात के करीब दो बजे हैं होटल क्रिस्टल के नीचे चिल्लाने की आवाजों से नींद खुल जाती हैं। खिड़की से नीचे झांकता हूं। एक आदमी और औरत झगड़ रहे हैं। आदमी कह रहा है ‘डोंट टच मी’। और उससे लिपटते हुए कह रही है ‘आई विल टच यू’। बार-बार चिल्लाते हुए एक ही वाक्य- आईविल टच यू। कौतूहलवश खिड़की का पर्दा थोड़ा और हटाता हूं। दोनों की निगाह मुझ पर पड़ती है वे झगड़ना बंद कर देते हैं। दोनों मुझसे चिल्ला कर फ्रेंच में कुछ कहते हैं। मैं मतलब निकालता हूं-आप सोइए महाराज। हम ठीक हैं। यहां मामला प्रेम का है, झगड़े का नहीं।
अगले दिन सुबह ‘नेशनस’ चला आया। ‘नेशनस’ यानी जिनेवा में यूएन का बस स्टॉप। चोरों तरफ संयुक्त राष्ट्र के कई दफ्तरों के बीच एक हरे मैदान में एक विशालकाय कुर्सी पर नजर अटक गई। इसे यहां सब इसे ‘द ब्रोकन चेयर’ के नाम से जानते हैं। स्विस कलाकार डेनिलय बरसेट की इस कृति को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं। टीक की लकड़ी से बनी यह 12 मीटर ऊंची कुर्सी जैसे हवा में लटकी है। इसका एक पाया कटा हुआ है। तीन पाए की कुर्सी उन मजदूरों की याद में बनी है जो खानों में बारूद बिछाते वक्त अपनी जान गंवा बैठे या अपाहिज हो गए। कुर्सी की कहानी भी खासी दिलचस्प है। अंगोला, कम्बोडिया और तमाम अफ्रीकी देशों में हर साल बारूदी सुरंगों से लाखों लोग मर जाते हैं या अपाहित हो जाते हैं। यह कुर्सी इन खान मजदूरों की आवाज बनकर संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय के सामने टंगी है। डेनियल कहते हैं यह कुर्सी मैं पत्थर की भी बना सकता था पर जानता हूं इंसान पत्थर नहीं हो सकता। यूएन प्रशासन ने तीन साल पहले ये कुर्सी अपने मुख्यालय के सामने लगाने की इजाजत दी थी। सोचा गया था कि संयुक्त राष्ट्र आने वाले राष्ट्राध्यक्षों को इस कुर्सी के बहाने अपंग मजदूरों की याद आएगी। शुरू में यह अपाहिज कुर्सी केवल तीन माह के लिए लगी थी पर यह हटाई नहीं गई। ‘माइन बैन ट्रीटी’ पर दुनिया के केवल 122 मुल्कों ने दस्तखत किए। हवा में लटकी इस कुर्सी को अभी कुछ और दस्तखतों का इंतजार है।
संयुक्त राष्ट्र संघ के दफ्तर के ठीक सामने खाली पड़ी यह जगह अब दुनिया भर के नाराज लोगों के प्रदर्शन का केन्द्र बन गई है। लेकिन ये प्रदर्शन भी किसी पिकनिक से कम नहीं होता। कम्बोडिया से आए कुछ स्त्री पुरुष और बच्चे यहां विरोध के लिए जमा है। सारी रात हवा में अटकी यह कुर्सी दिमाग में घूमती रही। सुबह के चार बजे हैं। होटल के नीचे तेज शोर से आंखें खुल जाती हैं। खिड़की से झांकता हूं तो नीचे एक गाड़ी मशीन से सड़क साफ कर रही है। एक आदमी पालीथिन बैग में जमा कचरा उठाकर गाड़ी के पीछे डाल रहा है। उसके कंधे के नीचे एक बैसाखी है। उसका एक पांव कटा है। शायद बारूद के विस्फोट से गंवा दिया हो। उसकी नजर ऊपर खिड़की पर पड़ती है वह हाथ हिलाकर कहता है-‘बुनजोरनो।’ मैं अंदाज लगता हूं इसका मतलब ‘गुड मार्निंग’ होगा। मैं सही निकला। मेरे एक स्विस दोस्त गुर्जियों ने बताया कि यह इतालवी शब्द है जिसका अर्थ है ‘गुड मार्निंग’।
....जारी


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