दयाशंकर शुक्ल सागर

Friday, September 13, 2013

भूमिका






महात्मा गांधी के जीवन में विचित्र विरोधाभास था। महात्मा एक साथ दो जिंदगियां जी रहे थे। अपने सार्वजनिक जीवन में महात्मा की छवि एक कठोर और सिद्धांत- प्रिय आदमी की थी। एक ऐसा आदमी जो स्वभाव से जिद्दी है। अपनी बात मनवाने के लिए वह किसी भी क्षण अपने प्राण जोखिम में डाल सकता है। उनकी सार्वजनिक छवि एक ऐसे व्यक्ति की थी जो केवल सत्य और अहिंसा की बात करता है बल्कि उसका कठोरता से पालन भी करता है। गरीबों का दुख - दर्द उनसे देखा नहीं जाता। अपने देश के करोड़ों अर्ध नग्न लोगों को देख कर वह खुद चर्चिल के शब्दों मेंअधनंगा फकीरबन जाता है। एक ऐसा आदमी जो स्त्री - पुरुष के सेक्स संबंधों से नफरत करता है। जो मानता है कि संभोग पाप है। स्त्री और पुरुष के बीच यौन संबंध त्याज्य हैं। ईश्वर ने स्त्री और पुरुष को संभोग के लिए नहीं बनाया है। पति और पत्नी का रिश्ता बकवास है। इस पृथ्वी पर आए हर पुरुष और हर स्त्री के बीच भाई - बहन जैसे संबंध होने चाहिए। विवाहितों को भी एक -दूसरे के साथ एकांत सेवन नहीं करना चाहिए। एक कोठरी में एक चारपाई पर नहीं सोना चाहिए। वगैरह - वगैरह। लेकिन महात्मा का निजी जीवन इससे बिलकुल अलग था। उन्हें स्त्रियों का साथ पसंद था। महात्मा के निजी जीवन में उनकी पत्नी के अलावा कई स्त्रियां आईं। उनके आश्रम हमेशा लड़कियों से भरे रहते। खास तौर से उन्हें कम उम्र औरबोल्डलड़कियां पसंद थीं। महात्मा उनके साथ हंसी - मजाक करते। उनके साथ खाना खाते। उनके साथ स्नान करते। उनके साथ एक बिस्तर पर सोते। आधा दर्जन से ज्यादा लड़कियों के साथ नग्नावस्था में सोने की बात महात्मा ने खुद स्वीकार की। हैरत की बात यह थी कि इन लड़कियों को वह अपनी बेटी या बहन मानते थे। मनु के लिए उन्होंने बार - बार कहा कि वह उनकी मां बन गए हैं।



स्त्रियों को लेकर महात्मा के दिल में एक खास तरह का आकर्षण था जो सारी उम्र उनके पूरे व्यक्तित्व पर हावी रहा। महात्मा मोहनदास कर्मचंद गांधी की महान जीवन - गाथा औरतों और उनकी निजी यौन कुंठाओं के बीच घिरी रही। 15 साल के मोहन को खूबसूरत वेश्या की चौखट से लज्जित होकर लौटना पड़ता है क्योंकि वह उस स्त्री के साथ बिस्तर पर जाने का अंतिम समय तक साहस नहीं जुटा पाता है। 16 साल के मोहन का मन उस वक्त भी अपनी पत्नी के साथ संभोग करने की इच्छा से मुक्त नहीं हो पाता है जब उसके पिता मृत्यु शैया पर अंतिम सांस का इंतजार कर रहे होते हैं। 21 साल के युवा मोहनदास लंदन मेंपरस्त्री को देख कर विकारग्रस्तहो जाते हैं और उनका किशोर मन उस औरत के साथरंगरेलियांमनाने की इच्छा करता है। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाते क्योंकि ऐन मौके पर उनका एक शुभचिंतक उन्हें वहां से भगा देता है। पानी के जहाज से दक्षिण अफ्रीका जा रहे 28 साल के मोहनदास गांधी यात्रा की थकान मिटाने के लिए हब्शी औरतों की बस्ती में एक वेश्या की कोठरी में घुस जाते हैं। लेकिन फिर वहां सेबिना कुछ किएशर्मसार होकर बाहर निकलते हैं। 31 साल के बैरिस्टर मोहनदास अपनी पत्नी के साथ ब्रह्मचर्य और संयम का संकल्प लेते हैं लेकिन इसके बावजूद वह एक और बच्चे के पिता बन जाते हैं। 40 साल के प्रौढ़ गांधी अपने सबसे प्रिय दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी मिली ग्राहम पोलक के प्रति एक खास तरह कीआत्मीयतामहसूस करते हैं और वेएक - दूसरे के निकटआते हैं। लेकिन अपने दोस्त को तकलीफ में देख कर वह बहुत जल्द यहआत्मीय रिश्ताखत्म कर देते हैं। 41 साल के महात्मा गांधी 18 साल की मॉड नाम की उस लड़की से प्रभावित हो जाते हैं जो विदाई के वक्त उनसेहाथ मिलानेके बजाय उनकाचुंबनचाहती थी। अपनी अंतरात्मा की आवाज ठुकरा कर वह उसे फिनिक्स आश्रम ले आते हैं और धोखा खाते हैं। 48 साल के गांधीजी नीली आंखों वाली 22 साल की सुंदर डेनिश कन्या एस्थर फैरिंग के मोहजाल में फंस जाते हैं जिसे वह प्यार सेमाई डियर चाइल्डकहते थे। लेकिन बापू उसे लिखते - आज रात को सोने जाते समय मुझे तुम्हारी बहुत याद आयेगी।’ 51 साल के महात्मा 48 साल की विवाहित महिला श्रीमती सरला देवी चौधरानी के प्रेम में पड़ जाते हैं और उन्हें अपनीआध्यात्मिक पत्नीका खिताब दे डालते हैं। यह महिला भी उन्हें सपने में बार - बार परेशान करती है। 56 साल की उम्र में महात्मा 33 साल की मैडलिन स्लेड के प्रेम में बंध जाते हैं जिसकी भक्ति से प्रभावित होकर वह उसेमीराबना देते हैं। 60 साल की उम्र में महात्मा गांधी 18 साल की तेज तर्रार महाराष्ट्रीयन लड़की प्रेमा के मायाजाल में गिरफ्त हो जाते हैं। प्रेमा जब कभी भावातिरेक में आकर उन्हें आलिंगनबद्ध करती तो वे कहते - तू पागल तो है ही, लेकिन तेरा पागलपन मुझे प्यारा लगता है।
फिर 64 साल के महात्मा एक 24 साल की अमेरिकन महिला नीला सी कुक उर्फ नीला नागिनी के संपर्क में आते हैं जिसके बारे में आम धारणा थी कि वह एकअत्यंत कामुक और झूठी औरत है।’ 65 साल के महात्मा 35 साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल उर्फ अमला को कपड़े पहनने का सलीका सिखाते हैं। इसके लिए उन्हेंपेटीकोटशब्द के सही अनुवाद की तलाश ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में करनी पड़ी। वे बताते हैं कि मार्गरेट कोमोटी साड़ी के नीचे पेटीकोट - जैसी किसी चीज की जरूरत नहीं है।अगरमोटी साड़ी के नीचेवह उनकी तरहचड्ढी भी पहने तो काफी है।अमला जब कभी वासना में बह कर उनसे लिपटती तो महात्मा उसे सलाह देते - तुम्हें अपने विचित्र और परेशानी में डाल देने वाले तौर - तरीके बिलकुल छोड़ देने चाहिए।’ 69 साल के महात्मा 18 साल की सुंदर युवती डॉ. सुशीला नैयर के संपर्क में आते हैं जिससे वह प्राकृतिक चिकित्सा के नाम पर नग्न होकर अपने जिस्म की मालिश कराते हैं और वक्त बचाने के लिए उसके साथ स्नान भी कर लेते हैं। स्नान करते हुए उनकी आंखें बंद रहती हैं और उन्हें यह भी पता नहीं रहता किवह कैसे स्नान करती है नंगी या चड्ढी पहन कर।’ 72 साल के महात्मा अपने ब्रह्मचारी जीवन की प्रयोगशाला में बाल विधवा लीलावती आसर, पटियाला के एक बड़े जमींदार की बेटी अमतुस्सलाम, कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर और मशहूर समाजवादी जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी करीब आधा दर्जन महिलाओं के साथ सिर्फ यह जानने के लिए सोते हैं कि उम्र के इस पड़ाव में क्या अब भी उनमें काम वासना शेष है। 76 साल के महात्मा 16 साल की आभा, वीणा और कंचन नाम की युवतियों को ब्रह्मचर्य का पाठ सिखाने के लिएनग्नहोने को कहते हैं। पर ये लड़कियां उनसे कहती हैं कि उनकी दिलचस्पीब्रह्मचर्य का पालन करने की बिलकुल नहीं’, वह तोसंभोग का सुख भोगना चाहतीहैं। 77 साल के महात्मा अपनी पोती मनु के साथ नोआखली की सर्द रातें शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सो कर गुजारते हैं। 79 साल के महात्मा जीवन के अंतिम क्षणों तक आभा और मनु के साथ एक बिस्तर पर सोते हैं।
संभोग नहीं संयम
महात्मा ने ब्रह्मचर्य व्रत 37 साल की उम्र में लिया लेकिन इसके बाद का 42 साल का उनका जीवन जवान होती लड़कियों और महिलाओं के इर्द - गिर्द घूमता रहा। सेक्स को लेकर उनके मन में एक खास तरह की कट्टरता गई थी। यही कट्टरता उनमें विवाह को लेकर थी क्योंकि महात्मा गांधी के लिए विवाह केवल सेक्स का लाइसेंस था। उन्होंने अपने बेटे मणिलाल को विवाह के प्रति काफी हतोत्साहित किया। महात्मा गांधी ने मणिलाल से कहा - जिस रोज तुम शादी कर लोगे, उसी दिन तुम्हारा तेज घट जाएगा।दुनिया के सारे धर्म संतानोत्पत्ति को मानव जाति का पहला और महान कर्तव्य मानते हैं। लेकिन महात्मा इसे लगभग पाप मानते थे क्योंकि इसका मूल आधार सेक्स है। दुनिया के कुछ सनकी विचारकों से महात्मा इतने प्रभावित हो गए कि उन्होंने ईश्वर को भी चुनौती दे दी। विवाह के विरोध में उन्होंने अद्भुत तर्क गढ़ लिए थे। उन्होंने मणिलाल को लिखा - स्त्री - पुरुष संभोग से अधिक घिनौनी किसी क्रिया की मैं कल्पना भी नहीं कर सकता। वह संतानोत्पत्ति का कारण बन जाती है, यह तो ईश्वर की लीला है। किंतु संतानोत्पत्ति कोई कर्तव्य है अथवा यदि संतानोत्पत्ति हो तो जगत् की कोई हानि हो जाएगी, ऐसा मैं बिलकुल नहीं मानता। क्षण - भर के लिए मान लें कि उत्पत्ति - मात्र बंद हो गई, तो फिर सारा विनाश भी समाप्त हो जाएगा। जन्म - मरण के चक्कर से मुक्त हो जाना ही तो मोक्ष है। यही परम सुख माना गया है और यह बिलकुल उचित ही है।1
महात्मा को सेक्स से इतनी नफरत थी कि अगर संभोग हो और एक दिन यह दुनिया निःसंतान खत्म हो जाए तो यह महात्मा के लिए सबसे आदर्श स्थिति होती। लेकिन अगले 14 सालों में उनके इस विचार में थोड़ी नरमी आई थी। 1936 में उन्होंने कहा - ‘काम की प्रेरणा एक सुंदर और उदात्त भाव है। उसमें लज्जित होने की कोई बात नहीं। परंतु वह संतानोत्पत्ति के लिए ही है। उसका और कोई उपयोग करना ईश्वर और मानवता दोनों के प्रति पाप है।2





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